Thursday, May 19, 2011
बारिश
बारिश
कल यहाँ बारिश हुई, अमूमन इन दिनों में यहाँ बारिश नहीं होती पर कल हुई, थोड़ी सी…। बेमौसम…. पर बारिश अजीब है, थोड़ी हो या ज्यादा मौसम खुशनुमा कर ही जाती है. सड़कें, पेड़, छत्त, आँगन सब धुल जाता है, साफ़ और ख़ूबसूरत हो जाता है, ऐसा लगता है किसीने नयी धुली चादर बिछा दी हो, जैसे रात भर रोयीं आँखें सुबह उठ कर पनीली और सौंधी हो जाती हैं.
बारिश के मौसम से मेरा रिश्ता अजीब है, बारिश कभी माँ की तरह लगती है जो बादलों के शोर से डराती, डांटती है, मुझे मेरी गलतियों पे समझाती है
कभी एक खास दोस्त जो मेरे साथ हर दुःख हर problem में रोता है और वो भी ऐसे की मेरा दुःख भी छुपा लेता है और उसके इस प्यार की बौछार में नहा कर मैं सारे दुःख भूल जाती हूँ
कभी मेरे भाई सा बदल मुझे छेड़ता है, उमड़ घुमड़ कर छाता है, अँधेरा कर मुझे डरता है, और बिन बरसे चिड़ा कर चला जाता है
कभी आने वाले उस प्रियतम की तरह हवाएं मचलती हैं, मेरी लटों को छु जातीं हैं और धीरे से कान में प्यार का कोई गीत सुनातीं हैं और कहतीं हैं इंतज़ार करो मैं यहीं हूँ आऊंगा और तुम्हे उड़ा ले जाऊंगा
ये रिश्ता जो कभी मैं भी समझ नहीं पाती
पर बारिश में बरसती हुई बूंदों के साथ नाचना आज भी अच्छा लगता है, बारिश के बाद हर चीज़ से उठती हुई सौंधी सी खुशबू बहुत प्यारी लगती है, दिल करता है इस खुशबू को किसी बोतल में बंद कर हमेशा के लिए अपने पास रख लूँ
बारिश के बाद छत्त पर घंटों खड़े रह कर धुली नयी धरती के चादर को देखना, बादल के बदलते रंग रूप और अकार देखना ठंडी नर्म हवाओं को गले लगाना बहुत पसंद है.
बारिश मुझे कभी मेरी सहेली जैसी लगती है, कभी प्रियतम, कभी माँ सी…… अजीब रिश्ता है बारिश का मेरे साथ……………..
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14 comments:
बारिश में माँ , भाई , दोस्त , प्रियतम .... जब प्रकृति रिश्तों में ढल जाये तो समझो पूरी ज़िन्दगी सोंधी सोंधी हो गई
thanks di
nice nice :)
is barish ka intezar sabko tha - asmaan me kalraw karte panchhiyon ko, khet me hal chalate kisanon ko, dharti , nadiyon aur hare maiadano ko. kal hum bhi bemausam ki barish me khub bhinge lekin sardi nahi lagi.......shayad ye pahli barish ki mohabbat thi. boondon ne chupke se kaha tha ki wo kal fir aayenge aur dharti ko apne pyar se sarabor kar denge.
hmmmmmmmmmm...lajawaab
par..
is baar is rumaani baarish k saath..
ole bhi pde the..
bada dard hua tha....
zor zor se se unhone mere sir ko chua tha...}
barse se wo wo aise mujhpe
jaise maine kiya ho koi gunaah..
hazaaron koshishon k baad bhi nhin mili mujhe kahin bhi panaah..
na yaad aaye priytam..
na yaad aayi maa..
na kaam aaye bhai..
bas mooh se nikli hai hai..
chilaati duhaai..
aur sair ptaau rachna karne waala
aapka idiot ye bhai..
itne khubsurat barish....kashh..ye mere saher me bhi hoti.......nice one...shephali...
@ sumit
barish har insaan ki jarurat hai
@tatvagya
kya baat hai bahut khub, bahut acha likha hai maza aa gaya
@ambrish ji
thanks a lot
बारिश ...खूबसूरत एहसास
sangeeta didi
:) thnks
शेफाली जी सावन के महीने में घूमते-फिरते आपके ब्लॉग पर आना हुआ. यहाँ आकर बरसात पर आपका लेख पढ़ा तो दिल को छू गया. बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं. फर्क मात्र इतना है की आप अपने दिल में उठने वाले भावो से कविता लिखती है और मैं गुफ्तगू करता हूँ. आपका भी मेरी गुफ्तगू में स्वागत है.
बारिश के बाद छत्त पर घंटों खड़े रह कर धुली नयी धरती के चादर को देखना......
har baarish ek naye jeevan ko janm deti hai....har taraf sangeet....har taraf ullaas....sab kuchh paavan paavan....
achha likha hai apne
very well described....so sweet...mann bheeg gaya padh kar..
बहुत ही बढ़िया
अच्छे शब्द, अच्छी बात, अब आगे बढो
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